Monday, July 21, 2008

हमारा युग निर्माण सत्संकल्प

इस सृष्टि का निर्माण, विकास और विलय परमात्मा के संकल्प से ही होता रहा है । परमात्मा के संकल्प से होता रहा है । परमात्मा की श्रेष्ठ कृति मनुष्य भी अपने समाज एवं संसार को संकल्पों के आधार पर ही बनाता-बदलता रहता है ।

श्रीराम शर्मा ने इस महत्वपूर्ण समय में जन-जन को ईश्वर के साथ भागीदारी के लिये आमंत्रित एवं प्रेरित किया है । नव सृजन की ईश्वरीय योजना का उन्होंने युग निर्माण योजना कहा है ।

युग निर्माण के ईश्वरीय संकल्प में हर नैष्ठिक की भागीदारी के लिये उन्होंने इस सत्संकल्प की रचना की है । इसके १८ सूत्र गीता के १८ अध्यायों की तरह सारगर्भित हैं । सूत्रों का गठन इस कुशलता से किया है कि यह क्षेत्र, भौगोलिक भेद और मानवीय वर्ग भेद से परे सभी साधक ईश्वरीय भागीदारी निभाते हुए अनुपम एवं अलौकिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं ।

व्यक्तिगत एवं सामूहिक स्तर पर नियम से धीरे-धीरे, समझकर एवं श्रद्घापूवर्क पढ़ें ।

हमारा युग निर्माण सत्संकल्प
( Our Manifesto - Solemn Pledge)


१. हम ईश्वर को सर्वव्यापी, न्यायकारी मानकर उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतारेंगे |

Firmly believing in the Omnipresence of God and His unfailing justice, we pledge to abide by basic Divine principles (Dharma).

२. शरीर को भगवान का मन्दिर समझकर आत्मसंयम और नियमितता द्वारा आरोग्य की रक्षा करेंगे |

Considering the body as the Temple of God , we will be ever watchful to keep it healthy and full of vitality by adopting the principles of self-control, order and harmony in our lives.

३. मन को कुविचारों और दुर्भावनाओं से बचाये रखने के लिए स्वाध्याय और सत्संग की व्यवस्था रखे रहेंगे |

With a view to keep our minds free from the inrush of negative thoughts and emotions, we will adopt a regular program of study of ennobling and inspiring literature (Svaadhyaaya) and up keep the company of Saints (Satsanga).


४. इन्द्रिय संयम, अर्थ संयम, समय संयम और विचार संयम का सतत अभ्यास करेंगे |

We will vigilantly exercise strict control over our senses, thoughts, emotions and spending of our time and resources.


५. अपने आपको समाज का एक अभिन्न अंग मानेंगे और सबके हित में अपना हित समझेंगे |

We will consider ourselves inseparable parts of the society and will see our good in the good of all.


६. मर्यादाओं को पालेंगे, वर्जनाओं से बचेंगे, नागरिक कर्तव्यों का पालन करेंगे और समाजनिष्ठ बने रहेंगे |

We will abide by basic moral code, refrain from wrong doing and will discharge our duties as citizens committed to the well-being of the society.


७. समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी को जीवन का एक अविच्छिन्न अंग मानेंगे |

We will earnestly and firmly imbibe in our lives the virtues of Wisdom, Honesty, Responsibility and Courage.


८. चारों तरफ मधुरता, स्वच्छता, सादगी और सज्जनता का वातावरण उत्पन्न करेंगे |

We will constantly and sincerely endeavour to create an environment of loving kindness, cleanliness, simplicity and goodwill.


९. अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलते हुए असफलता को शिरोधार्य करेंगे |

We will prefer failure while adhering to basic moral principles to so-called success obtained through unfair and foul means.


१०. मनुष्य के मूल्यांकन की कसौटी उसकी सफलताओं , योग्यताओं एवं विभूतियों को नहीं , उसके सद्-विचारों और सत्कर्मों को मानेंगे |

We will never evaluate a person’s greatness by his worldly success, talents and riches but by his righteous conduct and thoughts.


११. दूसरों के साथ वह व्यवहार नही करेंगे, जो हमें अपने लिए पसंद नहीं |

We will never do unto others what we would not like to be done unto us.


१२. हम नर-नारी के प्रति पवित्र दृष्टि रखेंगे |

Members of opposite sexes while interacting with each other will have feelings of mutual warmth and understanding based on purity of thoughts and emotions.


१३. संसार में सद-वृतियों के पुण्य प्रसार के लिए अपने समय, प्रभाव, ज्ञान , पुरुषार्थ एवं धन का एक अंश नियमित रूप से लगाते रहेंगे |

We will regularly and religiously contribute a portion of our time, talents and resources for spreading nobility and righteousness in the world.


१४. परम्पराओं की तुलना में विवेक को महत्व देंगे |

We will give precedence to discriminating wisdom over blind traditions.


१५. सज्जनों को संगठित करने, अनीति से लोहा लेने और नव-सृजन की गतिविधियों में पूरी रूचि लेंगे |

We will actively involve ourselves in bringing together persons of goodwill in resisting evil and injustice and in promoting New Creation.


१६. राष्ट्रीय एकता एवं समता के प्रति निष्ठावान बने रहेंगे | जाति, लिंग, भाषा, प्रांत सम्प्रदाय आदि के कारण परस्पर कोई भेदभाव न बरतेंगे |

We will remain committed to the principles of national unity and equality of all human beings. In our conduct, we will not make any discrimination between person and person on the basis of caste, creed, colour, religion, region, language or sex.


१७. मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है , इस विश्वास के आधार पर हमारी मान्यता है कि हम उत्कृष्ट बनेंगे और दूसरो को श्रेष्ठ बनायेंगे, तो युग अवश्य बदलेगा |

We firmly believe that each human being is the maker of his own destiny. With this conviction, we will uplift and transform ourselves and help others in doing so. We believe the world will then automatically change for the better.


१८. "हम बदलेंगे-युग बदलेगा""हम सुधरेंगे- युग सुधरेगा" इस तथ्य पर हमारा परिपूर्ण विश्वास है |

Our Motto is : "Ham Badalenge - Yug Badalegaa", "Ham Sudharenge - Yug Sudharegaa".When we transform ourselves, the world will be transformed. When we reform ourselves, the world will be reformed.


1 comment:

abhivyakti said...

guruji aur mataji se judna jeevan ko dhanya kar dena hai.aap bahut hi achcha karya kar rahe hain.